यकीन था कि तुम भूल जाओगे

March 11, 2019
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इश्क़ में कौन बता सकता है,
किस ने किस से सच बोला है।

किसी के तुम हो किसी का ख़ुदा है दुनिया में,
मेरे नसीब में तुम भी नहीं, ख़ुदा भी नहीं।

यकीन था कि तुम भूल जाओगे मुझको,
खुशी हैं कि तुम उम्मीद पर खरे उतरे।

जिससे लड़ता हूँ मै अब उस को मना लेता हूँ,
खूब बदली है तेरे बाद अपनी आदत मैंने।

हम तो समझे थे कि हम भूल गए हैं उन को
क्या हुआ आज ये किस बात पे रोना आया
– साहिर लुधियानवी

सोचता रहा ये रातभर करवट बदल बदल कर,
जानें वो क्यों बदल गया, मुझको इतना बदल कर।

तुम्हारे बाद न तकमील हो सकी अपनी,
तुम्हारे बाद अधूरे तमाम ख्वाब लगे।

दीवारों से मिल कर रोना अच्छा लगता है,
हम भी पागल हो जाएँगे ऐसा लगता है।

हम तो कुछ देर हँस भी लेते हैं,
दिल हमेशा उदास रहता है।
– बशीर बद्र

मुद्दत हुई है बिछड़े हुए अपने-आप से,
देखा जो आज तुमको तो हम याद आ गए।

मेरी हर आह को वाह मिली है यहाँ,
कौन कहता है कि दर्द बिकता नहीं है।

बेवफा लोग बढ़ रहे हैं धीरे धीरे,
इक शहर अब इनका भी होना चाहिए।

तू बदनाम ना हो इसीलिए जी रहा हूँ मैं,
वरना मरने का इरादा तो रोज होता है।

न जाने किस लिए उम्मीद-वार बैठा हूँ,
इक ऐसी राह पे जो तेरी रहगुज़र भी नहीं।
– फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

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