जख्म बन जाने की आदत है उसकी

June 22, 2017
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बिन बात के ही रूठने की आदत है,
किसी अपने का साथ पाने की चाहत है,
आप खुश रहें, मेरा क्या है..
मैं तो आइना हूँ, मुझे तो टूटने की आदत है।

दिल में आप हो और कोई खास कैसे होगा,
यादों में आपके सिवा कोई पास कैसे होगा,
हिचकियॉं कहती हैं आप याद करते हो,
पर बोलोगे नहीं तो मुझे एहसास कैसे होगा।

एक आरज़ू सी दिल में अक्सर छुपाये फिरता हूँ,
प्यार करता हूँ तुझसे पर कहने से डरता हूँ,
कही नाराज़ न हो जाओ मेरी गुस्ताखी से तुम,
इसलिए खामोश रहके भी तेरी धडकनों को सुना करता हूँ!

मेरे दिल की दुनिया पे तेरा ही राज था।
कभी तेरे सीर पर भी वफाओ का ताज था।
तूने मेरा दिल तोडा पर पता न चला तुझको।
क्योंकि टुटा दिल दीवाने का बे आवाज था।

जख्म बन जाने की आदत है उसकी,
रूला कर मुस्कुराने की आदत है उसकी,
मिलेगें कभी तो खूब रूलाएगें उसको,
सुना है रोते हुए लिपट जाने की आदत है उसकी!!

उनसे मिलने को जो सोचों अब वो ज़माना नहीं,
घर भी कैसे जाऊं अब तो कोई बहाना नहीं,
मुझे याद रखना कहीं तुम भुला न देना,
माना के बरसों से तेरी गली में आना-जाना नहीं।

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