खुदा की रहमत में अर्जियाँ

October 7, 2019
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चेहरे पर हंसी छा जाती है,
आँखों में सुरूर आ जाता है,
जब तुम मुझे अपना कहते हो,
मुझे खुद पर गुरुर आ जाता है!

खुदा की रहमत में अर्जियाँ नहीं चलतीं,
दिलों के खेल में खुद-गर्जियाँ नहीं चलतीं।
चल ही पड़े है तो ये जान लीजिए हुजुर,
इश्क़ की राह में मन–मर्जियाँ नहीं चलतीं!

कभी संभले तो कभी बिखर गए हम,
अब तो खुद में ही सिमट गए हम,
यूँ तो जमाना खरीद नहीं सकता हमें,
मगर प्यार के दो लफ़्ज़ों से बिक गए हम!

जमाना अगर हम से रूठ भी जाये तो,
इस बात का हमें गम न कोई होगा,
मगर आप जो हमसे खफा हो गए तो,
हम पर इससे बड़ा सितम न कोई होगा!!

सुकून मिल गया मुझको बदनाम होकर,
आपके हर एक इल्ज़ाम पे यूँ बेजुबान होकर,
लोग पढ़ ही लेंगें आपकी आँखों में मोहब्बत,
चाहे कर दो इनकार यूँ ही अनजान होकर!

दो बातें उनसे की तो दिल का दर्द खो गया,
लोगों ने हमसे पूछा कि तुम्हें क्या हो गया,
बेचैन आँखों से सिर्फ हँस के हम रह गए,
ये भी ना कह सके कि हमें इश्क़ हो गया!!

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