काश में ऐसी ग़ज़ल लिखूँ तेरे प्यार में,
तेरा अक्स झलकता हो मेरे हर अल्फ़ाज़ में,
तेरे लिए ऐसे मोती सजाऊँ अल्फ़ाज़ों की सूरत में,
जिसका ना ज़िक्र हो दुनिया की किसी किताब में!
मेरे महबूब मैं क्यूँ ना तुझे पागल कर दूँ,
बन कर प्यास मैं खुद तुझे बादल कर दूँ,
तू बरस जाये शिद्दत से मुहब्बत की घटा बनकर,
मैं बन के नसीब तेरा खुद को जलथल कर दूँ!
ज़िंदगी राज़ है तो राज़ रहने दो,
अगर है कोई ऐतराज़ तो ऐतराज़ रहने दो,
पर अगर आपका दिल कहे हमें याद करने को,
तो दिल को ये मत कहना की आज रहने दो।
हमने तो कहा था मत देखो ख़्वाब हमारे,
तुमने फिर भी ख़्वाबों में बसाया हमको,
कर खुद की मोहब्बत को बुलंद जरा,
और किस्मत के पन्नों से चुरा लो हमको
हर सुभा तेरी दुनिया में रोशनी कर दे
रब तेरे गम को तेरी खुशी कर दे
जब भी टूटने लगे तेरी सांसें
खुदा तुझमें शामिल मेरी जिंदगी कर दे!
क्या नशा है इश्क आज तक समझ ना पाये हम,
उन नशीली आँखों में कहीं हो ना जाऐं गुम,
युँ तो इश्क समझ नहीं आता ना जाने क्या बला थी ये,
कि जुदा होने पे उनकी ये आँखे हो गई है नम !!